कछुआ और खरगोश की कहानी



 एक बार की बात है, गांव में एक छोटा सा कचुए रहता था। वह बहुत ही नतखट और खुशमिजाज कचुआ था। उसके पास दोस्त बहुत थे, जो उसके साथ खेलते और मस्ती करते थे।


एक दिन, वे सभी दोस्त नदी के किनारे चले गए। उन्हें देखते ही कचुए को बहुत खुशी हुई। वह बहुत उत्साहित हो गया और चिड़ियों की तरह उड़ने लगा। उसके दोस्त उसे देखते ही हैरान रह गए। वे कचुए से पूछने लगे, "तुम कैसे उड़ रहे हो? क्या यह कोई नई शक्ति है जो हमें नहीं पता?"


कचुए ने मुस्कराते हुए उत्तर दिया, "नहीं, दोस्तों, यह कोई नई शक्ति नहीं है। मैं यह उड़ रहा हूँ क्योंकि मुझे विश्वास है कि मैं उड़ सकता हूँ।"


दोस्तों ने उसे हंसते हुए कहा, "तुम कचुए हो और कचुए तो सिर्फ पानी में ही तैर सकते हैं। वाकई, तुम खुद को अच्छी तरह से धोखा नहीं दे रहे हो?

बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गांव में एक खरगोश और एक कछुआ अपने आपसी दोस्त बन गए। वे दोनों बहुत ही प्यार से रहते थे और हमेशा साथ में खेलते थे।


एक दिन, खरगोश ने कछुए से कहा, "मेरे प्यारे दोस्त, हमें आज खेलने के लिए कुछ नया स्थान ढूंढना चाहिए। हमारा जीवन और खुशहाल हो जाएगा।"


कछुआ बहुत खुश हुआ और दोनों ने साथ मिलकर एक सुंदर जंगल ढूंढा। वहां उन्हें खेलने के लिए बहुत सारी जगह मिली। दोस्त बहुत खुश थे और उन्होंने वहां खेलना शुरू कर दिया।


खरगोश बहुत तेज और चालाक था, वह बहुत तेज़ी से दौड़ सकता था, जबकि कछुए की गति धीमी थी। दोनों मिलकर बहुत मज़े से दौड़ रहे थे।


एक दिन, खरगोश खुद को बहुत ही तेज़ दिखाना चाहता था। वह कछुए से बोला, "देखो, मैं तुमसे बहुत तेज़ दौड़ सकता हूँ। मैं जितना भाग सकता हूँ, तुम नहीं भाग सकते।"


कछुआ थोड़ा चिंतित हो गया, लेकिन उसने हंसते हुए कहा, "तुम तो सचमुच बहुत तेज़ दौड़ सकते हो। लेकिन क्या तुम मुझसे तेज़ दौड़ सकते हो?"


खरगोश को एक चुनौती लेने का मौका मिल गया। वह तुरंत रणनीति बनाने लगा और कछुए से बोला, "ठीक है, देखते हैं कौन जीतता है। हम एक दौड़ लगाएंगे। वह जीते जो पहले जंगल की दूसरी तरफ पहुंचे।"


कछुआ ने मुस्कराते हुए कहा, "ठीक है, मैं तैयार हूँ।"


दौड़ शुरू हुई और दोस्त तेज़ी से दौड़ने लगे। खरगोश धीमे और सतर्की से दौड़ रहा था, जबकि कछुए थोड़ी धीमी गति में आराम से दौड़ रहा था।


जब खरगोश जंगल की दूसरी ओर पहुंचने के लिए घास की ओर भाग रहा था, तब उसने घास के पिंजरे में एक चीज़ देखी। वह थम गया और उसे पकड़ने की कोशिश की, लेकिन वह अंधेरे में उसे नहीं देख पा रहा था। वह ज्यादा ध्यान से देखने के लिए घास के पिंजरे में घुस गया।


तभी कछुआ जंगल की दूसरी ओर पहुंच गया और जीत गया। वह देखा कि खरगोश गिरफ्तार हो गया है। उसने खरगोश को बचाने के लिए आगे बढ़कर उसे घास के पिंजरे से बाहर निकाला।


खरगोश बहुत ही धन्यवाद जताते हुए कहा, "दोस्त, तुमने मेरी जान बचाई है। तुम ने दिखाया है कि हमारी तेज़ी से कुछ नहीं होता है। मैं अपनी भूल के लिए माफी चाहता हूँ।"


दोस्तों की यह कहानी हमें यह सिखाती है कि दोस्ती में ईमानदारी, सहायता, और समर्पण बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। एक दूसरे का साथ देते हुए हम सबके लिए समृद्ध और खुशहाल जीवन बना सकते हैं।



संगीता की  दी गई जनकारी आपको पसंद आएगी..... 

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