औरत के बिना हर दिन अधूरा है




बहुत समय बाद दे ये blog लिख रही हु, क्युकी कल women's day है...बहुत कुछ दीमाग मे चल रहा था तो मुझे लगा इसे लिखा जाये...

women's day मनाने की जरुरत मुझे नहीं लगती क्युकी women's के बिना हर दिन अधूरा ही है क्यू सही कहा ना मेने...

कुछ लोगो का कहना होता है क्यू women's day मनाते हो men's day क्यू नहीं मनाते...

Men's day मनाया जाता है लेकिन उस दिन को कोई इतना जनता नहीं है सब उसे नजर अंदज करते है women's day को लोग ऐसे ही नहीं याद करते ये day दिन इसलिए लोगो को याद रहता है की औरत का त्याग और बलिदान सबसे ऊपर है इसलिए उन्हें एक ऊपर leval का दर्जा दिया जाता है...

अभी भी सिर्फ कहने की बात रह गई है लेकिन अभी भी औरत का त्याग और बलिदान कम कहा हुआ है

जब उसे कोई हैरान करता है तो वो बाहर निकलना छोड़ देती है,भाई के लिए संपत्ति छोड़ देती है, पति के लिए अपना घर छोड़ देती है, और तो और बाप की इज्जत के लिए अपना प्यार भी छोड़ देती है

एक लड़की जब दुनिया मे आती है, तब से उसकी कहानी मे सुनती हु धियान से सुनिए ....

कहा आपसे आपकी जायजात मांगती हु,                                  लेकिन मुझे इस दुनिया मे आने का मौका तो देके देखो

उन माँ बाप का दिल से आभार मानती हु जिसने इस दुनिया मे लाया है, लेकिन आगे बड़ने का और पढ़ने लिखने का मौका तो देके देखो

कौन कहता कुल का नाम सिर्फ लड़के ही ऊंचा करते है, एक बार हमें भी कुल का नाम ऊंचा करने का मौका तो देके देखो

हम आपकी नाक नहीं कटने देंगे, लेकिन बाहार निकलके कुछ करने का मौका तो देके देखो

मम्मी -पापा मे तो आपकी ही लाड़ली हु मुझपे बस इतना भरोसा तो करके देखो 

इससे आपको पता चल गया होगा के मे आपसे क्या कहना चाहती हु सिर्फ यहा तक सीमित  नहीं है।

जब लड़की जब शादी करके अपने ससुराल जाती है तब कुछ समय के बात उसे ये अहसाह जरूर होता है

सबसे पहले उसे अंध विश्वास मे रखा जाता है के शादी बाद वो रानी की तरह रहेगी लेकिन वही सबसे बड़ी उसकी गलत फेहमी होती है क्यकि वो रानी तो नहीं लेकिन एक फ्री की नौकरानी जरूर बन के रह गई है

फिर कुछ समय बात उसे ये भी अहसास होता है की 

लड़की के लिए तो हर घर पराया है एक जगह से सुनने मिलता के तू पराई है, और दूसरी जगह से सुनने मिलता है की तू पराये घर से आई है ना तो अभी तक पता चला है की कोनसा घर अपना है और कोनसा पराया है और ना तो ये कभी पता चल पायेगा...

ये तो कुछ भी नहीं हद तो तब हो जाती जब वो अपने प्यार के लिए अपने ससुराल वालो के लिए अपना पेट तक कटवाने के लिए तैयार हो जाती है फिर उसके साथ ये होता है.... वो सुनिए आप..

माँग मेरी सिंदूर तेरे नाम का

पूरा शरीर मेरा, शजना सावरना तेरे नामका

कोख मेरी, और बच्चा तेरे नामका

लेकिन जब बच्चा कुछ गलत करे तो गाली क्यू मेरे नाम की...?

औरत के ये सब बलिदाब त्याग करने पर भी पिता-भाई - और पति लास्ट मे यही कहते है तूने मेरे लिए किया ही क्या है...

 जब बच्चा पैदा करने का समय आता है तब operation room मे आदमी को औरत के साथ जरूर भेजो वो ये कहना जरूर भूल जायेगा के तुमने मेरे लिए किया ही क्या है..।

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जब औरत कही पे job ढूढ़ने जाती है तब उसके दीमाग के ज्याता उसकी खूबसूरती को देख के job के लिए select किया जाता है

और जब वो job लग जाती है तब उसे काम मे output देने के साथ उसका शोषण भी किया जाता है मीटिंग के बहाने बुलाकर उनसे sex related घुमा फिरा कर बात भी की जाती है, बात करते करते बार बार उनके चेस्ट पर निगाह डाली जाती है,  मजाक भी बनाया जाता है उसे body sem  भी किया जाता है...

क्यू लड़कियों को काम के साथ हीरोइन जैसा दिखना जरुरी है..?

एक और बात, कभी एक लड़की दूसरी लड़की की दुश्मन नहीं होती उसे दुश्मन बनाया जाता है उसे jealous feel कराया जाता है, वो कहानी सुनी होगी दो बिल्ली के झगडे मे बन्दर का हमेसा फायदा होता है...

और वैसे corporate मे कम उमर की लड़कियों को जानपुछकर प्यार मे फसाया जाता है फिर उन्हें blackmail भी किया जाता है this is true...

एक कड़वा सच :- जब पुरुष औरत से हारने लगता है तब वो हमेसा औरत के चरित्र पर ऊँगली उठता है... क्युकी उसे पता है की वो उसके चरित्र पे ऊँगली उठा कर उसे कमजोर कर देगा... जब कोई पुरुष तुम्हारे साथ ऐसा करे तो किसी को justification देने मे ना पड़े, क्युकी जब तुम सही हो तो किसी को खुदकी सरिफाई मत बताइये वो खुदमा खुद सामने आ जाएगी....

क्रांति तो तब आएगी जब हर लड़की ये समझेगी की खूबसूरत दिखना जरुरी नहीं बल्कि काबिल होना जरुरी है....

 Equality की बात तो कहा आती ही है जब husband-wife दोनो काम करते है लेकिन घर का काम तो जाके औरत को ही करना पड़ता है ये इस दुनिये बनाये हुए नियम...

औरत भगवान का बनाया हुआ एक ऐसा creature है जो बहुत ही अनमोल है जिसमे ममता है प्रेम है emotions  है,,,,जो पत्थर की चार दीवारों को भी घर बनती है वो चाहे किसी बेटी हो बहन हो या फिर पत्नी हो...लेकिन अपनी अच्छाई को अपनी कमजोरी ना बनने दे...men's मे emotions  बहुत काम होते है माँ बाप के साथ रहने पे भी वो उनके साथ नहीं होते लेकिन लड़किया माँ बाप के साथ ना होने पे भी हमेसा उनके साथ रहती है...

अब समझें Women's Day  क्यू बनाया जाता है....

Happy womens Day........

मे आशा करती हु संगीता का लिखा हुआ blog आपको जरूर पसंद आया होगा....







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