पितृसत्तात्मक देश मे महिलाओ की स्थिति

   

 भारत एक पितृसत्तात्मक देश है ये तो सब जानते है, लेकिन क्या वो ये भी जानते इस पितृसत्तात्मक देश में क्या क्या होता है : आज आपको जरूर में बताउंगी ये पितृसत्तात्मक देश में क्या क्या  होता हैं , किसे कितना महत्व मिलता है, किसकी कितनी चलती है, किसे कितने आगे बढ़ने मिलता है, बहुत कुछ आपको जानने मिलेगा, लेकिन उसके लिए आपको इसे पूरा पड़ना पड़ेगा। 

*भारत पितृसत्तात्मक देश में हजारो साल पहले आदमियों और औरतो  दोनों को एक लेवल का महत्व दिया जाता था, अगर आदमी बाहर से खेतो में काम करता अनाज  उगता तो औरत उसी अनाज को पका कर घर के लोगो का पेट पालती थी, और  कभी कबार खेतो के काम में भी हाथ  बटाया करती थी, लेकिन दोनों को महत्व उतना ही दिया जाता था, लेकिन कुछ समय के बाद पुरुषो ने अपनी सान और सोकत के लिए ने अपना जादा महत्वा  करवाना सुरु कर दिया, जैसे की औरतो का बहार न निकलना, उसे बस अपने पेरो की जूती समझना, औरतो को सिर्फ अपने हवस का एक सामान समझना, फिर औरतो पे गाली बननी सुरु हो गए, ये गंद सिर्फ उन पुरुसो की थी जो अपने आपको औरतो से बहुत ऊपर देखना चाहते थे, उस समय पे ऐसे भी पुरुष थे जो औरतो को अपने जैसा ही समझते थे, और अपने जैसा मान-सम्मान दिया करते थे, ये पुरुष उन गंदी सोच वाले पुरसो से औरतो की रक्षा भी किया करते थे, लेकिन आज में उन पुरुषो के बारे में बात करुँगी जो औरतो को कुछ नहीं समझते और सिर्फ उसे अपनी हवस का सामान ही समझते है, ऐसे पुरुष पूरी दुनिया में गंद फैला रहे है, आज भी ऐसी सोच रखने वाले पुरुष भले कितने ही पड़े लिखे हो गए हो, तो भी इनकी सोच में अभी तक औरतो के लिए गंद ही भरी है, जिससे औरतो को आज भी बहुत ही मुस्किलो का सामना करना पड़ता है, उनको आगे बड़ने के लिए क्या -क्या मुस्किलो का सामना करना पड़ता वो में आपको इस पेज में detail में बताऊंगी उससे पहले थोड़ा पितृसत्तात्मक देश के बारे में जानते है जैसे की यहा जब बच्चा जन्म लेता है तब उसके साथ माँ का नाम नहीं बल्कि पिता का नाम लिखा जाता है,यहा पे लड़कियों से ज्यादा लड़को को महत्व दिया ज्यादा है,

फर्क सिर्फ इतना है की पहले लड़कियों को दूध में डूबा कर मारा जादा था और आज पुरानी सोच रखने वाले लोग उन्हें अपनी तुच्छ सोच से मार रहे है, लेकिन आज १ से ज्यादा लड़किया अगर किसी की हो जाती है तो लोग निरास हो जाते है कास एक लड़का भी भगवन दे देता तो अच्छा होता, उसके लिए बहुत सारे जतन किये जाते है भगवन से प्राथना भी की जाती है, मेरे हिसाब से देखा जाये तो ये सोच लड़कियों को मारने से कम नहीं है, मतलब अभी भी कुछ लोगो की सोच दूध प्रथा जैसी है, लड़कियों को मरना तो कम कर दिया लेकिन तिल -तिल मारना सुरु कर दिया ( हर चीज में रोक-टोक ), लड़कियों के पैदा होने से घर के बुजुर्ग और आदमियो को क्यू इतना अपमान जनक लगता है उन्हें भी जन्म देने वाली एक लड़की एक औरत ही है, लेकिन अभी तक कुछ लोगो ने अपने दिमाग में इस प्रथा की सोच को क्यों जिन्दा रखा हुआ है, पहले बहुत से लोगो के दिमाग में ये प्रथा जिन्दा थी, लेकिन आज सिर्फ कुछ ही लोगो के दिमाग में ये प्रथा जिन्दा है, लेकिन उनके भी दिमाग में क्यों जिन्दा है ? ऐसी तो क्या तकलीफ हो जाती है लड़कियो के माँ के गर्भ में आने से, के उनको गर्भ में ही मार दिया जाता है ?

" आपको क्या लगता है सिर्फ लड़के ही कुल का नाम ऊचा कर सकते है, ये तो लड़किया भी कर सकती है लेकिन एक बार मौका तो देके देखो , हम कहा आपसे आपकी जायजात माग रहे है लेकिन दुनिया में सिर्फ आने का मौका तो देके देखो, उन माँ बाप का में दिल से आभार मानती हु जिन्होंने हमें दुनिया में आने का मौका दिया है, लेकिन और आगे बढ़ने और पढ़ने -लिखने का मौका तो देके देखो। में तो आपकी ही लड़की हु मम्मी -पापा एक बार मुझपे भरोशा तो कर के देखो। "

क्या लड़की का पैदा होना गुनाह है ? : लड़की के पैदा होते ही उसे कोन-कोनसी परेशानियो का सामना करना पड़ता है वो में आपको इस पेज में जरूर बताउंगी। 


१ ) पैदा होते है तब भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है : जब लड़किया पैदा होती है तब जो बड़े बुजुर्ग होते है उनको तकलीफ हो जाती है उनके पैदा होने से, या फिर उनके खुदके बाप को भी तकलीफ हो जाती है उनके पैदा होने से, ऐसा तो क्या गुनाह किया है लड़कियों ने जो पैदा होते ही सबके मुँह बिगड़ना सुरु हो जाते, क्या वो इंसान नहीं है ?, उनको दुनिया में आने का हक़ नहीं है, इसी की सोच के जरिये आज दुनिया में लड़कियों की संख्या इतनी कम हो चुकी है जिससे लड़को को शादी करने के लिए लड़किया मिलना मुश्किल पड़ रही है, जिनको लड़कियों के पैदा होने से इतनी तकलीफ होती है, क्या उनको ये पता है की उनको पैदा करने वाली भी एक लड़की ही है, बिगर माँ के क्या वो दुनिया में आ सकते थे ? अमुक जगह पे सास अपनी बहु को लड़की पैदा होने के बाद बहुत ही परेशान करती है, जैसे की उसने  कोई गुनाह कर दिया हो, ऐसा लोग क्यों करते है, क्या उन्हें नहीं पता के वो भी एक औरत ही है, औरत औरत की परेशानी नहीं समझेगी तो कोन समझेगा, या फिर आपने आखो पे पट्टी बांध राखी है न समझने की। आज आप नहीं समझोगी तो आगे आपको भी कोई नहीं समझेगा। 


२ ) पढाई पे रोक - टोक: जब लड़किया बड़ी होती है तो उनके पढ़ाई पे रोक लगा दी जाती है, कहते है की लड़किया अगर पड़ - लिख जाती है तो बिगड़ जाती है ये वही लोग बोलते है जो खुद अनपढ़ गवार होते है, जो खुद पड़े लिखे नहीं होते है, ओर वो दुसरो को सलाह देते है ( मत पढ़ाओ लिखाओ बच्चे बिगड़ जाएंगे ) और अगर घर से थोड़ी छूट - छाट मिल जाती है पड़ने लिखने के लिए, तो तब पड़ने जाते है स्कूल या कोलेज में तब वह भी लड़के परेशान करते है, और अगर भूल से कोई लड़का पीछे पड जाता है तो उल्टा  लड़कियों की ही पढाई बंद करवा दी जाती है, और जिस लड़के ने परेशान किया है वो लड़का खुले आम घूमता रहता है, आप ही बताइये मेरा सवाल आपसे हे किसकी पढ़ाई बंद करवानी चाहिए थी ?, लड़की की या लड़के की ? पढ़ने के कोन लायक नहीं है, लड़का या लड़की, अगर आप लड़कियों को पढ़ने-लिखने नहीं दोगे तो वो आने वाले समय में अपने बच्चो को क्या सीखा पाएंगी, उनकी सोच कैसे बड़ी होगी, फिर वो हमेसा पंचायतो में अपना टाइम खराब ही करेंगी ( पंचायत भी केसी होगी: उसकी लड़की उसके साथ चालू है और उसका लड़का उसके साथ चालू है), फिर जाती का भेदभाव भी कभी बंद नहीं होगा, इस जमाने में लड़का लड़की दोनों को पड़े लिखे होना बहुत जरुरी है, तभी हम आगे बड सकते है, और हमारी सोच भी। 

 " अगर एक लड़का पढ़ा -लिखा होता है तो, वो उसका आने वाला वंस पड़ा लिखा होगा, और उसके घर का नाम उचा होता है,लेकिन जब एक लड़की पढ़ी लिखी होती है, तो दोनों घर का नाम उचा होता है ससुराल का भी और मायका का भी का भी,और वो आने वंस में पड़े-लिखो वाली सोच डाल पायेगी, और एक अच्छी दिशा दे पायेगी तो लड़कियों के पड़े-लिखे होना बहुत ही जरुरी है"



३ ) लड़कियों के कपड़ो से लोग उसके कैरेक्टर का पता लगाते है:
वैसे कोई भी इंसान हो किसी के कपड़ो से किसी के भी कैरेक्टर का पता नहीं लगा सकता तो भारत में लोग ऐसा क्यों करते है, इसी वजह से लोग उनके कपडे पहनने पे पाबंदिया भी लगते है, और अगर लड़की अपने मन का पहन भी ले तो बिगड़ गई है, ऐसा क्यू लोग मान लेते है, दुनिया में लाये हो तो जीने का मौका भी दो लड़कियों को, लोग यहाँ तक कहते है अगर लड़कियों के साथ अगर कुछ गलत होता है उससे जिम्मेदार उसके कपडे है, लड़कियों के कपडे लड़को को गलत करने पे मजबूर करती है, आपको क्या ये सही लगता जो लोग भी ये कहते है, रेप तो ५ साल की लड़की का भी होता है और ८० साल की बुजुर्ग महिला का भी होता है, ये कोनसे कपडे पहनती होंगी जो इनका रेप हो जाता है, पुरुष कहते है लड़कियों के छोटे कपडे उनके हा बोलने का तरीका होता है,लड़किया अगर छोटे कपडे पहनकर कर बाहर निकलती है यानि वो लड़को को रेप करने के लिए बुलाने का संकेत देती है,क्या हा का संकेत होता है क्या ना का संकेत होता अगर ये तुमको पता होता तो तुम अच्छी तरह उनको समझ जाते उसकी ना यानि ना ही होता है उसका ना यानि हा नहीं नहीं होता है, क्या जब लड़की का गेंग रेप होता है तो क्या लड़की मना करती है इसका मतलब वो ओर करने के लिया बोलती है (जब दिल्ली मे गेंग रेप हुआ था तब उसके निचे के पार्ट मे लोखन की सालिया को घुसाया था उसने मना किया था क्या वो भी हा का संकेत था?), जो भी ऐसा बोलते है उनके बारे में भी मुझे सोचते हुए शर्म आती है, ये कोनसे अनपढ़ गवार लोग होंगे जो ऐसी वाहियात बाते करते है, और ये क्यों करते है ?, तुम दुसरो की बहन माँ के बारे में बोलते तो बहुत अच्छा लगता और यही तुम्हारी माँ और बहन के बारे में सुन कर बुरा लगता है ऐसा क्यों अपनी भी माँ बहन के बारे में सुन कर मजा लिया करो। ये सब भारत में पुरुष अपनी गलतियों को छुपाने के लिए ये सारी बाते फैलाते आ रहे है, और जब तक फैलाते रहेंगे, जब तक लड़किया पड़ी -लिखी नहीं होगी और हर एक लड़की एक दूसरी लड़की को support नहीं करेगी, तब तक पुरुष अपनी गलतियों का जिम्मा औरतो ( लड़कियों ) पे थोपते रहेंगे।

३) जब वो बड़ी हो जाती है तब भी रोक टोक: जब वो बड़ी हो जाती है तब उनको अपनी पसंद से खुदके लिए लड़का पसंद करने भी नहीं दिया जाता है, और जब वो नहीं मानती है तब जबरजस्ती उनकी शादी करवा दी जाती है, फिर अगर वो लड़का अच्छा निकला तो ठीक वरना उसके बाद भी परेशानियों से लड़कियों को गुजरना पड़ता है, ससुराल मे तो और जादा रोकटोक लोग करने लगते है, अगर आपको लड़किया पैदा करना मजबूरी लगती है तो मेहरबानी करके मत कीजिये, उसको तिल-तिल मारने से तो अच्छा है उसको पहले ही मार दीजिये, और जगह पे तो लड़कियों को दहेज के लिए भी परेशान किया जाता है उनको मारा पीटा भी जाता है, और बहुत सी जगह पे उनको दहेज के लिए मार भी डालते है, जो भी लोग इस तरहा की हरकत करते है क्या उनके घर मे बेटिया नहीं होती है, अगर वो ऐसा करते है तो तब उनकी बेटी किसी और के यहाँ जाएगी तब उनके साथ भी ऐसा हो सकता उनको ये ख्याल क्यू नहीं आता है, यहा पे वही सोच वाले पुरुषो की मे बात कर रही हु, वह पर भी परेशान करने वाले वो ही पुरुष होते है जिनकी सोच घटिया है लड़कियों के लिए, क्यों ऐसी जिंदगी बना दी गयी है लड़कियों की ?, कुछ जगह पे तो बहुत दुर व्यवहार किया जाता है, ससुर गलत निगाहो से देखता है, जेठ गलत निगाहो से देखता है, देवर गलत निगाह डालता है लेकिन पति को कुछ फरक नहीं पड़ता है, सासु कुछ नहीं बोलती है,क्युकी वो लड़की दहेज़ नहीं लेके आई है इसलिए, और पति दूसरी शादी के लिए भी तयारी करता है सिर्फ दहेज़ के लिए, अभी ये दहेज़ खुले आम नहीं बल्कि छुप-छुप के चल ही रहा है, औरतो को परेशान करना सिर्फ एक जाती में नहीं बल्कि हर एक जाती में ऐसा हो गया है, लेकिन जहा घटिया प्रकार की सोच के लोग होते है वही ये औरतो को परेशान करने की प्रथा चलती रही है, 


आपको नहीं लगता लड़कियों को संस्कार देने की जगह लड़को को संस्कार देना चाहिए,  उसे ये न सिखाये जाये औरतो की तरह मत रो, बल्कि ये सिखायो की अगर औरत रोती है तो उसे हिम्मत दे उसे हौसले से लड़ना सिखाओ, जो लड़के उसे परेशान करते  है तो उन लड़को से कैसे सामना करना है उसे ये सिखाओ, उसे दिल की आवाज छुपाना नहीं बल्कि खुलके बोलना सिखाओ, लड़को को ये सीखना चाहिए हर लड़की को माल की निगाह से नहीं बल्कि सम्मान की निगाह से देखे,

क्यों हिंदी bollywood में लड़कियों को एक अबला दिखाया जाता है, उसे एक चीज की तरह बताया जाता है उसे क्यों उसे माल, उसका जिस्म उसका होठ जानबूझकर कर नोटिस करवाया जाता है, लड़कियों को पटाका-टोटा का नाम दिया जाता है, अगर हमारे हिंदी bollywood में लड़कियों/औरतो  को अबला की जगह एक strong women के तोर पर दिखाया जाये तो आदमियों की सोच बदलेगी, और जब उनकी सोच बदलेगी तो हर घर का माहौल सुधरेगा, और लड़कियों को हर एक लड़का सम्मान की नजर से देखेगा, ( हमारी bollywood का कड़वा सच है ये है की वो लड़को के दिमाग में लड़कियों प्रति हवस को बड़ावा देते है )

वैसे ये पापी घटिया सोच वाले पुरुष यहाँ तक भी सांत नहीं बैठते, वैसे लड़किया तो मंदिर,मज्जित ,चर्च में भी सुरक्षित कहा है, ये पापी घटिया सोच वाले पुरुष उसको वह पर भी छोड़ता कहा है। क्यों अभी भी लड़कियों की ही गलती है या फिर लड़किया मंदिर,मज्जित, और चर्च में अगर जाती है तो वह भी वो अपना रेप करवाने के इरादे से जाती होंगी ?


४) जब लड़की कामयाबी पे पहुँचती है तब अगर कोई लड़की कामयाबी पे बहुच जाती है उसे ऐसा कहा जाता है भारत में तो सबका बिस्तर गरम करके इतनी कामयाब बानी है यहाँ लड़के तो बोलते है बल्कि लड़किया/औरते भी उनको कहा समझती है पुरुषो का समझते है के वो हमेसा अपनी गलतियों पर पर्दा डालते है ये सब बोलके लेकिन लड़किया क्यों ऐसा बोलती है अब आप किसी लड़की का साथ नहीं दोगी तो आपका साथ कोन देगा और इसी बात का फायदा हमेसा पुरुष उठाते है, आपतो समझिये, बाकि घटिया सोच वाले पुरुष तो हे ही समेशा हमें पीछे धकेलने के लिए।

 "जिंदगी में एक लड़की और एक बहु तभी कामयाब बन सकती है जब उसे मायके में उसकी माँ का साथ मिले और ससुराल में उसके पति और सास का साथ मिले। "


५ ) लड़की की अगर कोई मदत करता है करता है तो : अगर कोई लड़का आगे बड़ने के लिए लड़की की मदत करता है, तो ये जरूर उसके साथ चालू होंगी ऐसा लोग कहते है और लड़की अगर मदत करें तो इसी के जैसी होंगी दोने खराब आदत की लगती है लोग कहा लड़कियों को जीने देना चाहते है, क्या लड़कियों की मदत करने मे भी लोगो को प्रोब्लम होती है और अगर कोई मदत कर देता है तो उनसे भी प्रोब्लम होती है क्यों इतना परेशान किया जाता है लड़कियों को, अगर लड़कियों से दुनियावालो को इतनी ही नफरत है तो उन्हें दुनिया मे लाना क्यों नहीं बंद कर देते है ?


६ ) जब लड़किया बस या रिक्शे,या फिर खुदकी गाड़ी लेके निकलती है : जब लड़किया बाहर निकलती है तब भी उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है, जब बस मे जाती है तब ज्यादा भीड़ का फायदा लड़के और आदमी यहा तक की बूढ़े आदमी लोग उठाते है, लड़कियों और औरतो के पीछे जाके खडे हो जाते और जैसे जैसे बस का ब्रेक लगता है वैसे जानबूझकर और जादा चिपकते है, हमेसा ऐसा नहीं होता है लेकिन ज्यादातर ऐसा ही होता है, रिक्शे मे भी भीड़ का फायदा उठा कर छूने की कोसिस करते है, खुदकी गाड़ी केले निकलो फिर भी कहा परेशान करना कहा छोड़ते है, comment करके निकलते है, और रोड cross करता है कोई न कोई आदमी तब भी कुछ ना कुछ गलत बोल के निकलते है।, ये सब लड़कियों को दिमागी तोर पे झेलना पड़ता है और फिरभी दोष लड़किया और औरतो को ही दिया जाता है ऐसा क्यू..?

क्या लड़कियों ने सब झेलने का ठेका लेके रखा हुआ है, मे आज कहती हु मत सहन करो, मत झेलो, क्यू झेलती हो क्या तुमसे किसी ने लिखान लिया है, मत बनो दयावान खास कर उन लोगो के लिए जो तुमपे जुल्म करते है, जो तुम्हे जलील करते है, हर बार तुम्हे जो लोग गुनाह के कटघरे में खड़ा करते है, हर बात मे तुम्हे ही क्यू गुनाह के काटघेरे मे खड़ा किया जाता है ? सभी को पता है गलती किसकी है फिरभी ऊँगली क्यू हमेसा तुमपे, क्युकी तुम हमेसा सहन करती हो हमेसा झेलती हो, इसलिए लोग तुम्हारा फायदा उठाते है, और क्यू डरती हो लोगो से इसलिए तो लोग तुम्हे ओर डराते है। इसलिए तो मे कहती हु क्यू तुम झेलती हो, मत डरो निडर बनो जो लोग तुम्हे परेशान करते उनका सामना करो।  


७ ) बालविवाह : ये टोपिक को तो हम कैसे discuss करना भूल सकते है, क्युकी ये सच्चाई तो हमारे भारत के पितृसत्तात्मक देश की सबसे बड़ी सच्चाई है, अब ये रिवाज कहा से आया क्यों आया किसने बनाया और क्यों बनाया ये किसीको नहीं पता लेकिन था, लेकिन आज बहुत सी जगह पे चल रहा है लेकिन छुप छुप के, 

वैसे इस बालविवाह के बारे में ऐसा सुना था के ये इसलिए करवाया जाता था, पहली बात जो आदमी लोग थे वो एक दूसरे जो जवान दे देते थे, के मेरी लड़की आपके यहाँ विवाह करेगी ये उनकी शान थी, और उस लड़की का विवाह पैदा होते ही तय कर दिया जाता था, फिर उसमे थोड़ा बदलाव आया जब लड़की १५ या १० साल  की होती थी जब ये विवाह होता था, यहा तक तो ठीक लेकिन विवाह में ये बदलाव भी आया के लड़की १५ साल की होती थी और लड़का ३५ साल का वो भी लड़की के बिगर मर्जी के ये करवाया जाता था, और कुछ ऐसा भी देखा के लड़की १८ साल और लड़का ४० साल का वो भी उसकी बिगर मर्जी के दहेज़ न देना पड़े उसे इसलिए उसकी इसलिए शादी करवाई जाती है, अब ये शादी क्यों कर वाते थे उसकी पीछे लोगो का मानना ऐसा था के लड़का और लड़की बहक न जाये,  इसलिए उनके पड़ने लिखने की उम्र में उनकी शादी करवादी जाती, इसलिए आज के जमाने में लड़का हो या लड़की दोनों का पड़ा - लिखा होना जरुरी है, 

                                                                                                                                                                       

८ ) शादी के बाद और रोक - टोक : माँ बाप से कुछ आगे बढ़ने का करने का बोलो तो कहते है ससुराल में जाके करना और जब शादी हो जाती है तब तो और रोक - टोक ये मत करो वो मत करो यहाँ मत जाओ वह मत जाओ साडी पहनो, इसके पैर छुओ उसके पैर छुओ, और जब बच्चा हो जाये तब तो खुद ही टाइम नहीं मिलता, वैसे आदमी - और औरत अगर दोनों काम ( जोब ) करते है तो घर जाके काम हमेसा औरत को ही क्यों करना पड़ता है, घर वालो की  इस सोच को बदलना है ये सोच लोगो की बदलेगी तो ही समानता आएगी। बच्चे को माँ बाप दोनों ने मिलके पैदा किया है तो, तो जब परवरिश की बात आती है तो हमेसा माँ को ही कहा जाता है, जब लड़का या लड़की कुछ गलत कर देते है तो भी माँ के ऊपर ही बहार के लोग गालिया देते है, क्यों कोई बाप को गली नहीं देता है, माँ ने बच्चो को दुनिया में लाके कोई गुनाह किया है जो उसे ही हमेसा कसूरवार ठहराया जाता है, दुनिया में ऐसा नियम ही क्यों आपको नहीं लगता सभी को इसे बदलना चाहिए , गाली देते ही क्यों हो न माँ के ऊपर दो न ही बाप के ऊपर दो, देना हे तो उस इंसान को गाली दो जिसने गलती की है , जिसका कोई गुनाह नहीं है उसे क्यों गाली देते हो। 

९ ) जब लड़किया जोब  के लिए जाती तब भी परेशानी :  जब लड़किया जोब के लिए जाती है तब भी उसे बहुत परेशान किया जाता है, ऑफिस में, अच्छे बुरे सारे लोगो का सामना करना पडता है, बुरे लोग उनको गन्दी निगाहो से देखते है, तो कुछ ऐसे पुरुष भी होते है जो काम के बहाने उनसे बत्तमीजी भी करते गलत कमेंट भी करते है, दूसरे पुरुषो के साथ उनका नाम जोड़ा जाता है, जानबूझकर उनको छुआ जाता है, गलत तरीके से उनको corporate women बनने को कहा जाता कस्टमर को लुभाने के लिए कहा जाता है, office के पुरुष लड़कियों की गलत बाते करते है लड़कियों के बारे में विचार धारणा बनाई जाती है के लड़की ज्यादा हस के बात करती है, तो ये पट जाएगी ( और उनसे फ्लर्टिंग सुरु कर दी जाती है उनका गलत यूज़ किया जाता है ), फिर उनको आगे की post दी जाती है, और जो लड़की ऐसा करने के लिए मना कर देती है उसे प्रोमोशन नहीं दिया जाता उसे जोब से निकाल भी दिया जाता, ऐसा कानून की किताबो में तो नहीं लिखा है, तो ऐसा क्यों हो रहा है ? ( ये घटिया सोच वाले मर्दो का कानून है ये उनकी ही सरकार है, उनकी सरकार में लड़कियो के लिए ये सारे गलत कानून बने है, ओरतो पे गली जहा जाओ उनको परेशान करने का कानून, ये सब बोलने का हक उनको किसने दिया न जाने ऐसे कितने comments किये जाते है लड़कियों पे, जो लोग खुद लड़की के बाप बनके बैठे है वो लोग भी ऐसी बाते बोलते उन्हें ये नहीं पता के वो भी एक लड़की का बाप है अगर वो आप किसी और की लड़की के लिए बात बोलेगा तो उसकी लड़की को भी तो कोई न कोई बोलेगा, अगर तुम सच्चे दिल से लड़की की सम्मान करते हो तो अगर और कोई इंसान ऐसा बोलता भी है तो तुम उसे मना करोगे ऐसा बोलने से उसे समझाओगे लड़की जब शादी करके जाती है तब सबसे पहले वो अपने हमसफर में अपने बाप को ढूंढती है के मेरे पापा जैसे मेरी फिकर करते थे ये भी करे, एक दोस्त ढूंढती है, 

ये बात हर आदमी की नहीं है लेकिन उन सारे मर्दो की है जिनकी घटिया सोच आज भी दुनिया को गन्दा कर रही है, ऐसे लोगो की है जो लड़कियों के लिए आज भी गिरी हुई सोच रखते है, और अपनी आने वाली पीढ़ियों में ये सोच को आगे बड़ावा देते है, दूसरे के दिमाग मे लड़कियों के लिए जहर घोलते है, ऐसे लोग लड़कियों के लिए हैवान है, खुदके घर में पैदा होने वाली बेटी के लिए भी, उसके घर आने वाली बहु के लिए भी खुदकी औरत के लिए भी, ऐसे लोग लड़कियों को निचा दिखाने के लिए कुछ भी कर सकते है किसी भी हद तक जा सकते है, तो आप जहा भी ऐसी सोच को देखे तुरंत की तुरंत रोक दे। क्युकी बेटिया, माँ, बहन, बहु तो हर घर में होती है। 

वैसे हम इसी दुनिया में रहते है तो जो मेने देखा,सुना और लिखने का साहस किया ये पहले भी किया जा सकता था क्यों किसी ने अभी तक इन सब बातो को लिखा नहीं या फिर किसी के दिमाग में आया नहीं, या फिर लिखने दिया नहीं या लोगे के सामने आने ही नहीं दिया गया क्युकी हमारा भारत पितृसत्तात्मक देश है।

इच्छा रखती हु की संगीता का ये blog आपको पसंद आया होगा।

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