पितृसत्तात्मक देश मे महिलाओ की स्थिति
भारत एक पितृसत्तात्मक देश है ये तो सब जानते है, लेकिन क्या वो ये भी जानते इस पितृसत्तात्मक देश में क्या क्या होता है : आज आपको जरूर में बताउंगी ये पितृसत्तात्मक देश में क्या क्या होता हैं , किसे कितना महत्व मिलता है, किसकी कितनी चलती है, किसे कितने आगे बढ़ने मिलता है, बहुत कुछ आपको जानने मिलेगा, लेकिन उसके लिए आपको इसे पूरा पड़ना पड़ेगा।
*भारत पितृसत्तात्मक देश में हजारो साल पहले आदमियों और औरतो दोनों को एक लेवल का महत्व दिया जाता था, अगर आदमी बाहर से खेतो में काम करता अनाज उगता तो औरत उसी अनाज को पका कर घर के लोगो का पेट पालती थी, और कभी कबार खेतो के काम में भी हाथ बटाया करती थी, लेकिन दोनों को महत्व उतना ही दिया जाता था, लेकिन कुछ समय के बाद पुरुषो ने अपनी सान और सोकत के लिए ने अपना जादा महत्वा करवाना सुरु कर दिया, जैसे की औरतो का बहार न निकलना, उसे बस अपने पेरो की जूती समझना, औरतो को सिर्फ अपने हवस का एक सामान समझना, फिर औरतो पे गाली बननी सुरु हो गए, ये गंद सिर्फ उन पुरुसो की थी जो अपने आपको औरतो से बहुत ऊपर देखना चाहते थे, उस समय पे ऐसे भी पुरुष थे जो औरतो को अपने जैसा ही समझते थे, और अपने जैसा मान-सम्मान दिया करते थे, ये पुरुष उन गंदी सोच वाले पुरसो से औरतो की रक्षा भी किया करते थे, लेकिन आज में उन पुरुषो के बारे में बात करुँगी जो औरतो को कुछ नहीं समझते और सिर्फ उसे अपनी हवस का सामान ही समझते है, ऐसे पुरुष पूरी दुनिया में गंद फैला रहे है, आज भी ऐसी सोच रखने वाले पुरुष भले कितने ही पड़े लिखे हो गए हो, तो भी इनकी सोच में अभी तक औरतो के लिए गंद ही भरी है, जिससे औरतो को आज भी बहुत ही मुस्किलो का सामना करना पड़ता है, उनको आगे बड़ने के लिए क्या -क्या मुस्किलो का सामना करना पड़ता वो में आपको इस पेज में detail में बताऊंगी उससे पहले थोड़ा पितृसत्तात्मक देश के बारे में जानते है जैसे की यहा जब बच्चा जन्म लेता है तब उसके साथ माँ का नाम नहीं बल्कि पिता का नाम लिखा जाता है,यहा पे लड़कियों से ज्यादा लड़को को महत्व दिया ज्यादा है,
फर्क सिर्फ इतना है की पहले लड़कियों को दूध में डूबा कर मारा जादा था और आज पुरानी सोच रखने वाले लोग उन्हें अपनी तुच्छ सोच से मार रहे है, लेकिन आज १ से ज्यादा लड़किया अगर किसी की हो जाती है तो लोग निरास हो जाते है कास एक लड़का भी भगवन दे देता तो अच्छा होता, उसके लिए बहुत सारे जतन किये जाते है भगवन से प्राथना भी की जाती है, मेरे हिसाब से देखा जाये तो ये सोच लड़कियों को मारने से कम नहीं है, मतलब अभी भी कुछ लोगो की सोच दूध प्रथा जैसी है, लड़कियों को मरना तो कम कर दिया लेकिन तिल -तिल मारना सुरु कर दिया ( हर चीज में रोक-टोक ), लड़कियों के पैदा होने से घर के बुजुर्ग और आदमियो को क्यू इतना अपमान जनक लगता है उन्हें भी जन्म देने वाली एक लड़की एक औरत ही है, लेकिन अभी तक कुछ लोगो ने अपने दिमाग में इस प्रथा की सोच को क्यों जिन्दा रखा हुआ है, पहले बहुत से लोगो के दिमाग में ये प्रथा जिन्दा थी, लेकिन आज सिर्फ कुछ ही लोगो के दिमाग में ये प्रथा जिन्दा है, लेकिन उनके भी दिमाग में क्यों जिन्दा है ? ऐसी तो क्या तकलीफ हो जाती है लड़कियो के माँ के गर्भ में आने से, के उनको गर्भ में ही मार दिया जाता है ?
" आपको क्या लगता है सिर्फ लड़के ही कुल का नाम ऊचा कर सकते है, ये तो लड़किया भी कर सकती है लेकिन एक बार मौका तो देके देखो , हम कहा आपसे आपकी जायजात माग रहे है लेकिन दुनिया में सिर्फ आने का मौका तो देके देखो, उन माँ बाप का में दिल से आभार मानती हु जिन्होंने हमें दुनिया में आने का मौका दिया है, लेकिन और आगे बढ़ने और पढ़ने -लिखने का मौका तो देके देखो। में तो आपकी ही लड़की हु मम्मी -पापा एक बार मुझपे भरोशा तो कर के देखो। "
क्या लड़की का पैदा होना गुनाह है ? : लड़की के पैदा होते ही उसे कोन-कोनसी परेशानियो का सामना करना पड़ता है वो में आपको इस पेज में जरूर बताउंगी।
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" अगर एक लड़का पढ़ा -लिखा होता है तो, वो उसका आने वाला वंस पड़ा लिखा होगा, और उसके घर का नाम उचा होता है,लेकिन जब एक लड़की पढ़ी लिखी होती है, तो दोनों घर का नाम उचा होता है ससुराल का भी और मायका का भी का भी,और वो आने वंस में पड़े-लिखो वाली सोच डाल पायेगी, और एक अच्छी दिशा दे पायेगी तो लड़कियों के पड़े-लिखे होना बहुत ही जरुरी है"
३) जब वो बड़ी हो जाती है तब भी रोक टोक: जब वो बड़ी हो जाती है तब उनको अपनी पसंद से खुदके लिए लड़का पसंद करने भी नहीं दिया जाता है, और जब वो नहीं मानती है तब जबरजस्ती उनकी शादी करवा दी जाती है, फिर अगर वो लड़का अच्छा निकला तो ठीक वरना उसके बाद भी परेशानियों से लड़कियों को गुजरना पड़ता है, ससुराल मे तो और जादा रोकटोक लोग करने लगते है, अगर आपको लड़किया पैदा करना मजबूरी लगती है तो मेहरबानी करके मत कीजिये, उसको तिल-तिल मारने से तो अच्छा है उसको पहले ही मार दीजिये, और जगह पे तो लड़कियों को दहेज के लिए भी परेशान किया जाता है उनको मारा पीटा भी जाता है, और बहुत सी जगह पे उनको दहेज के लिए मार भी डालते है, जो भी लोग इस तरहा की हरकत करते है क्या उनके घर मे बेटिया नहीं होती है, अगर वो ऐसा करते है तो तब उनकी बेटी किसी और के यहाँ जाएगी तब उनके साथ भी ऐसा हो सकता उनको ये ख्याल क्यू नहीं आता है, यहा पे वही सोच वाले पुरुषो की मे बात कर रही हु, वह पर भी परेशान करने वाले वो ही पुरुष होते है जिनकी सोच घटिया है लड़कियों के लिए, क्यों ऐसी जिंदगी बना दी गयी है लड़कियों की ?, कुछ जगह पे तो बहुत दुर व्यवहार किया जाता है, ससुर गलत निगाहो से देखता है, जेठ गलत निगाहो से देखता है, देवर गलत निगाह डालता है लेकिन पति को कुछ फरक नहीं पड़ता है, सासु कुछ नहीं बोलती है,क्युकी वो लड़की दहेज़ नहीं लेके आई है इसलिए, और पति दूसरी शादी के लिए भी तयारी करता है सिर्फ दहेज़ के लिए, अभी ये दहेज़ खुले आम नहीं बल्कि छुप-छुप के चल ही रहा है, औरतो को परेशान करना सिर्फ एक जाती में नहीं बल्कि हर एक जाती में ऐसा हो गया है, लेकिन जहा घटिया प्रकार की सोच के लोग होते है वही ये औरतो को परेशान करने की प्रथा चलती रही है,
क्यों हिंदी bollywood में लड़कियों को एक अबला दिखाया जाता है, उसे एक चीज की तरह बताया जाता है उसे क्यों उसे माल, उसका जिस्म उसका होठ जानबूझकर कर नोटिस करवाया जाता है, लड़कियों को पटाका-टोटा का नाम दिया जाता है, अगर हमारे हिंदी bollywood में लड़कियों/औरतो को अबला की जगह एक strong women के तोर पर दिखाया जाये तो आदमियों की सोच बदलेगी, और जब उनकी सोच बदलेगी तो हर घर का माहौल सुधरेगा, और लड़कियों को हर एक लड़का सम्मान की नजर से देखेगा, ( हमारी bollywood का कड़वा सच है ये है की वो लड़को के दिमाग में लड़कियों प्रति हवस को बड़ावा देते है )
वैसे ये पापी घटिया सोच वाले पुरुष यहाँ तक भी सांत नहीं बैठते, वैसे लड़किया तो मंदिर,मज्जित ,चर्च में भी सुरक्षित कहा है, ये पापी घटिया सोच वाले पुरुष उसको वह पर भी छोड़ता कहा है। क्यों अभी भी लड़कियों की ही गलती है या फिर लड़किया मंदिर,मज्जित, और चर्च में अगर जाती है तो वह भी वो अपना रेप करवाने के इरादे से जाती होंगी ?
"जिंदगी में एक लड़की और एक बहु तभी कामयाब बन सकती है जब उसे मायके में उसकी माँ का साथ मिले और ससुराल में उसके पति और सास का साथ मिले। "
५ ) लड़की की अगर कोई मदत करता है करता है तो : अगर कोई लड़का आगे बड़ने के लिए लड़की की मदत करता है, तो ये जरूर उसके साथ चालू होंगी ऐसा लोग कहते है और लड़की अगर मदत करें तो इसी के जैसी होंगी दोने खराब आदत की लगती है लोग कहा लड़कियों को जीने देना चाहते है, क्या लड़कियों की मदत करने मे भी लोगो को प्रोब्लम होती है और अगर कोई मदत कर देता है तो उनसे भी प्रोब्लम होती है। क्यों इतना परेशान किया जाता है लड़कियों को, अगर लड़कियों से दुनियावालो को इतनी ही नफरत है तो उन्हें दुनिया मे लाना क्यों नहीं बंद कर देते है ?
६ ) जब लड़किया बस या रिक्शे,या फिर खुदकी गाड़ी लेके निकलती है : जब लड़किया बाहर निकलती है तब भी उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है, जब बस मे जाती है तब ज्यादा भीड़ का फायदा लड़के और आदमी यहा तक की बूढ़े आदमी लोग उठाते है, लड़कियों और औरतो के पीछे जाके खडे हो जाते और जैसे जैसे बस का ब्रेक लगता है वैसे जानबूझकर और जादा चिपकते है, हमेसा ऐसा नहीं होता है लेकिन ज्यादातर ऐसा ही होता है, रिक्शे मे भी भीड़ का फायदा उठा कर छूने की कोसिस करते है, खुदकी गाड़ी केले निकलो फिर भी कहा परेशान करना कहा छोड़ते है, comment करके निकलते है, और रोड cross करता है कोई न कोई आदमी तब भी कुछ ना कुछ गलत बोल के निकलते है।, ये सब लड़कियों को दिमागी तोर पे झेलना पड़ता है और फिरभी दोष लड़किया और औरतो को ही दिया जाता है ऐसा क्यू..?
क्या लड़कियों ने सब झेलने का ठेका लेके रखा हुआ है, मे आज कहती हु मत सहन करो, मत झेलो, क्यू झेलती हो क्या तुमसे किसी ने लिखान लिया है, मत बनो दयावान खास कर उन लोगो के लिए जो तुमपे जुल्म करते है, जो तुम्हे जलील करते है, हर बार तुम्हे जो लोग गुनाह के कटघरे में खड़ा करते है, हर बात मे तुम्हे ही क्यू गुनाह के काटघेरे मे खड़ा किया जाता है ? सभी को पता है गलती किसकी है फिरभी ऊँगली क्यू हमेसा तुमपे, क्युकी तुम हमेसा सहन करती हो हमेसा झेलती हो, इसलिए लोग तुम्हारा फायदा उठाते है, और क्यू डरती हो लोगो से इसलिए तो लोग तुम्हे ओर डराते है। इसलिए तो मे कहती हु क्यू तुम झेलती हो, मत डरो निडर बनो जो लोग तुम्हे परेशान करते उनका सामना करो।
वैसे इस बालविवाह के बारे में ऐसा सुना था के ये इसलिए करवाया जाता था, पहली बात जो आदमी लोग थे वो एक दूसरे जो जवान दे देते थे, के मेरी लड़की आपके यहाँ विवाह करेगी ये उनकी शान थी, और उस लड़की का विवाह पैदा होते ही तय कर दिया जाता था, फिर उसमे थोड़ा बदलाव आया जब लड़की १५ या १० साल की होती थी जब ये विवाह होता था, यहा तक तो ठीक लेकिन विवाह में ये बदलाव भी आया के लड़की १५ साल की होती थी और लड़का ३५ साल का वो भी लड़की के बिगर मर्जी के ये करवाया जाता था, और कुछ ऐसा भी देखा के लड़की १८ साल और लड़का ४० साल का वो भी उसकी बिगर मर्जी के दहेज़ न देना पड़े उसे इसलिए उसकी इसलिए शादी करवाई जाती है, अब ये शादी क्यों कर वाते थे उसकी पीछे लोगो का मानना ऐसा था के लड़का और लड़की बहक न जाये, इसलिए उनके पड़ने लिखने की उम्र में उनकी शादी करवादी जाती, इसलिए आज के जमाने में लड़का हो या लड़की दोनों का पड़ा - लिखा होना जरुरी है,
८ ) शादी के बाद और रोक - टोक : माँ बाप से कुछ आगे बढ़ने का करने का बोलो तो कहते है ससुराल में जाके करना और जब शादी हो जाती है तब तो और रोक - टोक ये मत करो वो मत करो यहाँ मत जाओ वह मत जाओ साडी पहनो, इसके पैर छुओ उसके पैर छुओ, और जब बच्चा हो जाये तब तो खुद ही टाइम नहीं मिलता, वैसे आदमी - और औरत अगर दोनों काम ( जोब ) करते है तो घर जाके काम हमेसा औरत को ही क्यों करना पड़ता है, घर वालो की इस सोच को बदलना है ये सोच लोगो की बदलेगी तो ही समानता आएगी। बच्चे को माँ बाप दोनों ने मिलके पैदा किया है तो, तो जब परवरिश की बात आती है तो हमेसा माँ को ही कहा जाता है, जब लड़का या लड़की कुछ गलत कर देते है तो भी माँ के ऊपर ही बहार के लोग गालिया देते है, क्यों कोई बाप को गली नहीं देता है, माँ ने बच्चो को दुनिया में लाके कोई गुनाह किया है जो उसे ही हमेसा कसूरवार ठहराया जाता है, दुनिया में ऐसा नियम ही क्यों आपको नहीं लगता सभी को इसे बदलना चाहिए , गाली देते ही क्यों हो न माँ के ऊपर दो न ही बाप के ऊपर दो, देना हे तो उस इंसान को गाली दो जिसने गलती की है , जिसका कोई गुनाह नहीं है उसे क्यों गाली देते हो।
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